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ॐ साईं राम

" दैनिक सांध्य चमन पत्रिका" अम्बाला का इतिहास, लक्ष्य सार्थकता एवं आपका प्यार"

 दिनभर की घटनाओ को समाचार पत्र के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने के लिए अम्बाला शहर की पावन धरती पर शहर के जाने - माने चार (4) व्यक्तियों सर्व श्री सुमन भटनागर (वरिष्ट पत्रकार पीटीआई) हरेन्द्र गुलाटी, अनिल गुप्ता एवं रमेश शर्मा द्वारा सयुक्त रूप से अम्बाला के इतिहास में पहला सांध्य दैनिक : "सांध्य अम्बाला" का अक्टूबर, 1994 में प्रारंभ किया गया. जब सांध्य अम्बाला का प्रवेशांक (पहला अंक) शहर के समाचार पत्र प्रेमी- पाठकों तक पहुंचा तब उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा. उन्हें अहसास हुआ की वे भी अपनी आवाज 'सांध्य अम्बाला' द्वारा बुलंद करके सम्बंधित विभागों, कार्यालयों तक पहुंचा सकते हैं. जिसकी नितांत आवश्यकता थी. आये दिन पाठकों की निरंतर वृद्धि ने उत्साहवर्धन किया. दिन प्रतिदिन मांग बदने लगी. उस समय समस्या यह थी की सांध्य ट्रेडल प्रिंटिंग प्रेस छापा जाता था. पहले एक-एक शब्द को जोड़कर खाके बनाये जाते थे. और फिर सभी समाचारों को जोड़कर उसे आकार अनुसार ट्रेडल मशीन पर चढ़ा कर छापा जाता था. मांग अनुसार प्रतियों का प्रकाशित हो पाना सम्भव नहीं हो रहा था. लेकिन पाठक वर्ग समूह सांध्य के मोहपाश में खिचता और बंधता चला जा रहा था.

             उन्ही दिनों अम्बाला के मिक्सी उद्योग से जुड़े कर्मशील वयवसायी बाऊ राजेंदर नाथ जी से एक भेट के दौरान उन्होंने इस समस्या से निजात दिलाने तथा ओफ्फ्सेट पर छपवाने सम्बन्धी कार्यवाही के मद्देनज़र  इस समाचार पत्र के न केवल प्रेरणापुंज बनकर अपना हाथ आगे बढाया अपितु अपने पूज्य पिता जी श्री चमन लाल जी के नाम से चल रही फार्म सी लाल इलेक्ट्रिकल एंड मेकेनिकल  व् चमन वाटिका आकाश की बुलंदियों को छु रही थी, के साथ जुड़ कर इस सांध्य दैनिक अख़बार को नाम दिया जो होली के पावन अवसर पर परिवर्तित होकर 'सांध्य अम्बाला' से दैनिक सांध्य  "चमन पत्रिका अम्बाला" हो गया. इसका प्रथम अंक 22  मार्च 1997 को हजारों सांध्य प्रेमी पाठको तक पहुंचा. सुंदर छपाई, आकर्षक  सेटिंग ने जन-जन का मन मोह लिया. पाठक वर्ग निरंतर फ़ोन एवं पत्रों द्वारा संपादक हरेन्द्र गुलाटी का होंसला बढाने लगे और उनकी दिलचस्पी इसे पहले से भी अधिक रोचक एवं महत्वपूर्ण समाचारों को स्थान देने के लिए बढ गयी

                 दैनिक सांध्य "चमन पत्रिका अम्बाला" के बढते क़दमों से प्रभावित हो श्री राजेंदर नाथ जी के संदिग्ध में एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें समाचार पत्र के लक्ष्य को मद्देनज़र रखते हुए उन्होंने सन्देश दिया की चमन पत्रिका में छापी खबरें पूरण पारदर्शीता  के लिए हो. राजनीती, प्रशासन जनहित, धर्म से संबधित समाचारों को उचित स्थान दिया जाये एवं सभी वर्ग समूह पाठकों के लिए अन्य ज्ञानवर्धक सामग्री को भी प्रकाशित किया जाये जो समाचार की सार्थकता को बढाए यह निर्णय का वो दिन था आज का दिन! कभी भी किसी समाचार  पर कोई सवालिए निशान नहीं लगा. न ही किसी ने इसकी गुणवता पर ऊँगली उठाई हैं सांध्य बेरोक- बेटोक उंचाईयों के शिखर पर पहुँच ही रहा था. चमन पत्रिका के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने के लिए अम्बाला कैंट के नामी चार्टेड accountant  श्री ए डी गाँधी जी ने ची अपना हाथ चमन पत्रिका पर रख दिया और वो इस पत्रिका के सलाहकार बन गए तथा एडवोकेट तजिंदर मोहन सिंह लिबरान क़ानूनी सलाहकार बन गये यह सांध्य चमन पत्रिका अपनी कर्मठ एवं सजग अभिव्यक्ति के कारण अपना भरपूर प्यार बटोर रहा है न रुका है न झुका है चूँकि स्वयं पर भरोसा व् माँ ज्वाला और साईं बाबा के आशीर्वाद के साथ- साथ पाठक वर्ग का अथाह प्यार शामिल है

15 अगस्त एवं 26 जनवरी  को निरंतर कई वर्षों से 100 पृष्ठों पर आधारित विभिन सामग्री, कविताएँ, कहानियां, धार्मिक लेखों इत्यादि से भरपूर बहुरंगी आकर्षक मैगज़ीन का भी प्रकाशन किया जा रहा हैं.

15 अगस्त 2002 को माँ ज्वाला की असीम कृपा से माँ ज्वाला को भी पत्रिका का हिस्सेदार बनाया गया जिनकी छत्र छाया तले यह पत्रिका एक बड़ा परिवार बन गयी है

इतना ही नहीं 15 अगस्त 2010 को श्री शिरडी साईं बाबा को भी पत्रिका की हिस्सेदारी में शामिल कर पत्रिका को साईं नाथ की भीनी-भीनी खुशबु, 'श्रधासबुरी' का योग प्राप्त हुआ है बाबा साईं तथा माँ ज्वाला के आशीर्वाद ने अम्बाला शहर के चर्चित दैनिक सांध्य चमन पत्रिका को चार चाँद लगा दी हैं.

यह सब आपके प्यार, होसले, प्रेरणा, चाहतो का ही फल है आप दुआ करें हम सब सदैव आपके प्रयासों पर खरा उतरें और सांध्य समाचारों की बदौलत आपसे जुडें रहे.

जय हिंद

मुख्य संपादक
 
 
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